नामु राम को कल्पतरु कलि कल्यान निवास । डा0 दयानन्द शुक्ल रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने नाम महिमा के निरूपण में रामजी से भी बड़ा रामजी का नाम बताया है और अपने कथन के समर्थन में प्रमाण स्वरूप अनेक पौराणिक पामर जनो के दृष्टान्त प्रस्तुत किये है जिन्होंने केवल नाम का आश्रय लेकर संसार सागर को पार कर लिया । नाम महिमा की पराकाष्ठा उनके इस कथन से स्पष्ट होती है कि -'कहौ कहाँ लगि नाम बड़ाई, राम न सकहिं नाम गुन गाई' । अर्थात नाम की महिमा का अमित विस्तार है जिसका पूर्णता के साथ वर्णन करना सम्भव नहीं है । नाम के ऐसे प्रभाव से प्रभावित होकर ही वे कहते है "नहि कलि करम न भगति बिबेकू राम नाम अवलम्बन एकू ।" अर्थात कलिकाल में भक्ति, कर्म और ज्ञान नही बन पाता ,केवल राम के नाम का ही एक सहारा है । वह वन्दना के क्रम में नाम की वन्दना करते हुये कहते है - ...
Posts
Showing posts from January, 2024