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वेदान्त

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' वेदान्त ' की मानवजीवन में भूमिका         वेद मानव सभ्यता के प्राचीनतम ग्रन्थ है जिनमे भौतिक अभ्युदय,सामाजिक सुव्यवस्था और पुरुषार्थ चिन्तन के साथ साथ शाश्वत शान्ति-सुख के मार्ग का निदर्शन  भी किया गया है । इस दृष्टि से विद्वानों ने वेदों को,  संहिता, कर्मकाण्ड और अध्यात्म इन तीन भागों में विभक्त किया है । अध्यात्म वेदों का अन्तिम विभाग होने से वेदान्त नाम से लोक में प्रचलित हुआ । सम्पूर्ण उपनिषद साहित्य वेद के इसी भाग के अंतर्गत आता है  । ऋषियो ने चिन्तन, मनन और निदिध्यासन की लम्बी तपस्चर्या के अनन्तर साक्षात्कार किये गये ज्ञान को अपने अपने तरीके से अपने शिष्यो को दिया । इसीलिये शताधिक उपनिषदों का उल्लेख पाया जाता है । उपनिषद का अर्थ है -समीप बैठना, गुर के समीप शिष्य ने बैठकर  यह ज्ञान प्राप्त किया । उपनिषदों की संवाद शैली इस अर्थ की पुष्टि करती है । वेदान्त शब्द का प्रचलन भारतीय दर्शन के विभाग के अनन्तर अधिक सामान्य हो गया क्योकि भारतीय षडदर्शनों में वेदान्त दर्शन  ,दर्शनशास्त्र का अन्तिम सोपान है और यह विचार की सूक्ष्मता एवम् चिंतन की प्...